[7/15, 16:18] sachin Bhai dasi fb: कौन कौन श्री राधा श्याम निकुंज रहस्य सुनना चाहेगा
सब श्री राधा बोलिए
[7/15, 16:20] sachin Bhai dasi fb: श्री निकुंज का कण कण यह सब " महाभाव प्रेम" से बना हुआ है अर्थात निकुंज के कण कण का इतना सामर्थ्य है के कोई एक बार इसे छूँ ले तो स्वतः महाभाव प्रेम में सरोवार हो
श्री राधा कृष्ण की दिव्यतम लिला का अस्वादन करेगा
सब महाभाव से बना है केवल महाभाव
[7/15, 16:21] sachin Bhai dasi fb: महाभाव प्रेम श्री राधा रानी की निज संपती है
महाभाव प्रेम की ठाकुररानी है राधा रानी बस उसी महाभाव प्रेम से वो श्री कृष्ण को सुखी करती है
तब यह निकुंज महाभाव प्रेम का ही चित्रण है तभी इस निकुंज का कण कण केवल सब श्री कृष्ण सुख ka यत्न करता है और देता है
[7/15, 16:22] sachin Bhai dasi fb: निकुंज के वृक्षों पर लदे हुए फल को ही ले लो
यह कहने पर तो " साधारण फलो की तरह नाम पाते है जैसे आम केला ख़रबूज़ा" परंतु यह सब प्रकृतिक नाम नहीं अप्राकृतिक नाम से शोभित होते है
इनमें गुठली नहीं सिर्फ़ गूदा यह तो बहुत छोटी बात है
[7/15, 16:23] sachin Bhai dasi fb: इन फलो में गूदा भी नहीं होता केवल और केवल रस और वो भी महाभाव प्रेम रस
[7/15, 16:24] sachin Bhai dasi fb: जैसे ही मुख में फल डाला बस महाभाव प्रेम रस सारे प्रेमाआनंद के भाव एक साथ श्री राधा श्याम रस
[7/15, 16:26] sachin Bhai dasi fb: वहाँ के फल वृक्षों से कभी गिरते नहीं है
इनका गिरना केवल और केवल श्री युगल चरण में होता है
[7/15, 16:28] sachin Bhai dasi fb: यहाँ के फूलो में कोई काँटे नहीं है, यह सब महाप्रेम से पोषित है
[7/15, 16:32] laddugopal shamli fb: जब श्रीजु को मन नाचने को होता।
तो स्वयं काले बादल आते
उन्हे देख मयूर नाचते
श्रीजु के भाव वहा हर ओर अंकित हुए रहते न
[7/15, 16:32] sachin Bhai dasi fb: वहाँ के वृक्ष पूरे पूरे फूल फल से लदे हुए है और यह सब इतने लदे हुए है के श्री युगल जब चलते है तब यह सब वृक्ष उनके हाथो का शीश का स्पर्श पाते रहते है
कोई भी वृक्ष सूखा और कम पत्तों वाला नहीं है
[7/15, 16:37] sachin Bhai dasi fb: यहाँ के वृक्षों की तनो की खाल " तमाल" रंग की है " और सब वृक्ष के तमाल तन सब श्री कृष्ण के नीलतनय देह जैसे है
गोपी विरह में उनके तनो नील तनय को छूकर तन्मय हो जाती है
[7/15, 16:49] sachin Bhai dasi fb: एक दिन रतिमंजरी ने श्री ललिता जी से निकुंज का महान रहस्य पूछा और कहा निकुंज में ऐसा क्या महान रहस्य है मुझे कृपया बतलाएं हर चीज यहां की दिव्य है निकुंज की रज भी दिव्य है एक एक चीज़ यहां की प्रेम में है यहां की जल में निर्मलता ही निर्मलता है पुलिन में सुहावंत है और हर जगह मंगल ही मंगल वन में सोभा ही सोभा है वृक्षों में हरियाली ही हरियाली है लताओं में नर्तन है फूलों में अदभुत सुंदरता है फूलों में रोचकता की रोचकता है पवन में सुखी सुखी है ऋतुएँ मनोहर है पशुओं में प्रियता ही प्रियता है भूमि कणों में को कॉमलता हे कोमल का ही सखियों में उमंग है एक मंजरियों में विनम्रता विनम्रता नैनों में सुंदरता अधरों पर मुस्कान ही मुस्कान है वाणी में मिठास की मिठास है हृदय में प्रेमी प्रेम है व्यवहार में आत्मीयता आत्मीयता है भावना में सेवा ही सेवा है निकुंज राज्य की हरखेली में उल्लास हर सेवा में उत्साह हर कार्य में आनंद हर उत्सव में उमंग हर विहार आनंद म निकुंज राज्य की सीमा में कठिनता कठोरता मलिनता विषमता माया का रंच मात्र अस्तित्व नहीं है
[7/15, 16:49] sachin Bhai dasi fb: श्री रतिमंजरी ने ललिता जी से पूछा आखिर ऐसा कौन सा महान रहस्य महत्तम है इस निकुंज वन का कि कि यहां हर एक चीज में प्रेम ही प्रेम मात्र आत्मीयता ही आत्मीयता आनंद ही आनंद उलास भरा हुआ है तब ललिता जी ने कहा मैं अब इस निकुंज का रहस्य बताती हूं तुम ध्यान से सुनो यह निकुंज प्रिया प्रीतम की प्रेम अश्रु से सिंचित है स्वयं प्रिया जी ने इस निकुंज मन की एक-एक की एक-एक फूल एक एक पल को अपने प्रेम से सुरक्षित किया है हमारी स्वामिनी प्रेम की घन सागर हैं प्रेम की आनंद सागर हैं उन्होंने ही कृपा करके इसे निकुंज की हर एक वस्तु में अपना प्रेम भर दिया है
[7/15, 16:49] sachin Bhai dasi fb: श्री ललिता जी ने कहा जो अखिल ब्रम्हांड के अधिपति हैं जो सर्व लोक महेश्वर हैं संपूर्ण सृष्टि के सर्जन करता है जो परमेश्वर हैं जो सर्वशक्तिमान है वह श्याम सुंदर इस निकुंज बन में प्रिया जी के साथ कितना अनुपम सुंदर विनोद बिलास बिहार करते हैं यह उनकी कितनी बड़ी महानता और सरलता है अनंत कोटि ब्रम्हांड के स्वामी होने पर भी अपनी गरिमा को भूलकर प्रिया जी के साथ हंसते हैं खेलते हैं खाते हैं हमारे साथ ऐसे खेलते हैं जैसे कोई छोटा बालक अपनी परछाई के साथ खेलता है श्याम सुंदर हैं प्रेम की सिंधु है हैं
[7/15, 16:50] sachin Bhai dasi fb: लालीता जी ने कहा हमारी किशोरी जी इतनी मृदुल शहज है प्रेम की मूर्ति है उन्होंने इस निकुंज राज्य में हर सखी में हर मंजरी में हर लता में हर पेड़ में हर फूल में अपना दिव्या प्रेम भर दिया है
[7/15, 16:50] sachin Bhai dasi fb: कितनी महान उदारता है श्याम सूंदर में की अन्त कोटि ब्रह्माण्ड के स्वामी होकर भी स्वामिनी जू के चरण सेवा करते है जब किशोरी जू मान करती है तो विनय से अपना सर्वश्व nichobar करके उन्हें मानते है
[7/15, 16:51] sachin Bhai dasi fb: श्याम सुंदर ही रस दान करने बाले है और बे ही रस पान करने बाले है
[7/15, 16:51] sachin Bhai dasi fb: प्रिया जी इस निकुंज में प्रेम की सरिता भरती है और श्याम सूंदर एक निकुंज की rakcha करते है
[7/15, 16:51] sachin Bhai dasi fb: निकुंज रस के प्रदान करने बाले श्याम सूंदर ही है उही इस रस को पान करने बाले है
[7/15, 16:51] sachin Bhai dasi fb: कम क्रोध विकार का यहाँ प्रवेश नहीं है प्रवेश की कोन कहे निकुंज के rakcha कवच को छु भी नहीं सकते
[7/15, 16:51] sachin Bhai dasi fb: त्रिगुण ताप त्रिदोष यहाँ झाक भी नहीं सकते
[7/15, 16:51] sachin Bhai dasi fb: प्रिया जी के विशुद्ध प्रेम के कारन यहा उज्जवलता निर्मलता सरलता मधुरता ही मधुरिता सुंदरता ही सुंदरता मृदुलता ही मृदुलता है निकुंज राज्य में
[7/15, 16:51] sachin Bhai dasi fb: निकुंज राज्य का मूल रूप हमारी प्रिया जी का विशुद्ध प्रेम है
[7/15, 16:52] sachin Bhai dasi fb: उन्हीने अपने दिव्या प्रेम से निंकुंज राज्य की हर एक वस्तु को प्रिया प्रियतम मयी बना दिया है
[7/15, 16:52] sachin Bhai dasi fb: प्रिया जी कृपा करुणा उनकी उदारता उनकी मृदुलता निकुंज राज्य को हर सखी हर मंजरी हर फूल हर वृक्ष हर लता हर एक रज के कण का
[7/15, 16:52] sachin Bhai dasi fb: हर एक वस्तु उनके प्रेम से सराबोर है
[7/15, 16:53] sachin Bhai dasi fb: कितनी सहज सुजान सरल कृपामयी है हमारी किशोरी जी
[7/15, 16:53] sachin Bhai dasi fb: जय हो ललिता महारानी की
[7/15, 16:53] sachin Bhai dasi fb: ललिता जी मुख से निकुंज रहस्य का वर्णन हुआ
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