सोलह श्रृङ्गारवाली -- पौर्णमासीजीने कहा -- श्रीमती राधिकाने स्नान किया है । उनकी नासिकाके अग्रभागमें मुक्ता आदि सुशोभित हो रहे हैं , नीलवस्त्र परिधान , कतिप्रदेशमें नीवीबन्धन , मस्तकपर वेणी , कानोंमें उत्तंस , अङ्गओंमें कर्पूर , कस्तूरी , चन्दन आदिका प्रलेप , कुंचितकेश - कलापमें विन्यस्त पुष्प , गलदेशमें माला , हाथोंमें लीलाकमल , अधरोंमें ताम्बूल , चिबुकपर कस्तूरीबिन्दु , नयनोंमें कज्जल , कपोलोंमें मृगमदरचित मकरी - पत्रभङ्ग आदि चरणोंमें अलक्तक राग एवं ललातमें तिलक -- इन सोलह श्रृङ्गारोंसे विभूषित होकर श्रीमती राधिकाजी विराजमान हो रही है॥९॥
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