Monday, 24 October 2016

कृपा जो राधा जु की चहिये , भाई जी

कृपा जो राधाजू की चहियै।
तो राधाबर की सेवा में तन मन सदा उमहियै॥
माधव की सुख-मूल राधिका, तिनके अनुगत रहियै।
तिन के सुख-संपादन कौ पथ सूधौ अबिरत गहियै॥
राधा पद-सरोज-सेवा में चित निज नित अरुझ‌इयै।
या बिधि स्याम-सुखद राधा-सेवा सौं स्याम रिझ‌इयै॥
रीझत स्याम, राधिका रानी की अनुकंपा प‌इयै।
निभृत निकुंज जुगलसेवा कौ सरस सु‌अवसर लहियै॥

भाई जी

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