Sunday, 23 October 2016

श्री राधाकुण्ड संक्षिप्त प्रकरण

🙌 श्रीराधाकुण्ड के प्रागट्य(अहोई अष्टमी एवम् बहुलाष्टमी) उत्सव की सभी वैष्णव जनों को कोटि-कोटि बधाई !!

🌹🌿श्रीराधाकुण्ड गोवर्धन पर्वत की तलहटी में शोभायमान है। कार्तिक माह की कृष्णाष्टमी(बहुलाष्टमी) अर्थात आज के दिन यहाँ स्नान करने वाले श्रद्धालुओं को श्री प्रिया-प्रियतम की सेवामयी प्रेमाभक्ति प्राप्त होती है। अर्धरात्रि के समय श्रीराधाकुण्ड एवम् श्रीकृष्णकुण्ड दोनों कुण्डों का प्रकाश हुआ था, अत:  बहुलाष्टमी की अर्द्धरात्रि में लाखों लोग यहाँ स्नान करते हैं।

🌿🌹समस्त जीवमात्र पर कृपा करुणा की भावना से द्रवीभूत श्रीकृष्ण और उनकी आह्लादिनी शक्ति श्रीराधा ही रसरूप में साकार हो जाती हैं और वह रस ही जब श्रीकृष्ण कृपा से संचित संग्रहीत होता है तो श्रीराधाकुण्ड और श्रीश्यामकुण्ड के रूप में दो दिव्य तीर्थ प्रकट हो जाते हैं।

🌹🌿इनका सम्बन्ध नित्यधाम गोलोक धाम से है। प्रकट लीला के रसास्वादन के लिए ही यह दोनों तीर्थ साकार हुए हैं , जहाँ निरंतर श्यामसुन्दर श्रीकृष्ण एवं उनकी आत्म छवि श्रीराधा और श्रीराधा पदकिंकरी श्रीगोपीजनों के निर्मल सम-उज्जवल प्रेम की रस निर्झरिणी प्रवाहित होती रहती है तथा नित नूतन निकुञ्ज विहार लीला संपादित होती रहती है–

🐚अनुदिनमतिरंगै: प्रेममत्तालिसङघै-
🐚र्वरसर निजगन्धैर्हारि-वारि-प्रपूर्णे।
🐚विहरत इह यस्मिन् दम्पती तो प्रमत्तौ।
🐚तदति सुरभि राधाकुण्डमेवाश्रयो मे।।

🌿🌹प्रिया-प्रियतम का अति प्रिय श्रीराधाकुण्ड दिव्य रस से परिपूर्ण है। प्रिया-प्रियतम का प्रेमानुराग ही श्रीराधाकुण्ड की रस तरंगों के रूप में उच्छलित हो रहा है। इस प्रकार यह दिव्य कुण्ड युगल सरकार के प्रेम रस माधुर्य का स्त्रोत बनकर इस भूमण्डल पर प्रकट है। इसी कुण्ड को केंद्र मानकर प्रिया-प्रियतम श्रीकृष्ण तथा श्रीराधा अपनी नित्य सहचरी सखियों के साथ रस विहार में निमग्न रहते हैं।

🌹🌿यह तीर्थ उस नित्यधाम गोलोक धाम का द्वार है। इसलिए श्रीराधाकुण्ड जाना चाहिए। बार-बार जाना चाहिए। क्यों कि हमारे जाने से द्वार खटखटा उठेगा और कभी तो किशोरी कृपा करुणा भरे हृदय खोलेगी और हमें हमारे जीवन को परम सौभाग्य प्रदान करेंगी। या अपनी कायव्यूहस्वरूपा गोपिजनों से कहेंगी कि अब तो द्वार पर बहुत देर से प्रतीक्षा कर रही है और करुणार्द्र होकर हमें अपनी निकुञ्ज रस माधुरी के रसास्वादन का सुयोग प्रदान करेंगी। परन्तु प्रतीक्षा तो करो , जिसने प्रतीक्षा को अपनी साधना का आधार बना लिया है , वही प्रिया-प्रियतम की मधुर झांकी का दर्शन प्राप्त कर सका है।

✨ श्रीराधारमण दासी परिकर ✨
🐚  श्रीराधाकुण्डमेवाश्रयो मे  🐚

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