Wednesday, 12 October 2016

प्रेम रस का विकास

कारण होय टूटिहै नाय,प्रेम सोई जानिहै।
सुखी लाल सुख होहिए,प्रेम सोई मानिहै।
प्रेम फल पकिहै हिय द्रवै,सोई नेहा उपजौ जानिहै।
नेह बढिहै मान होहै,बहिर मान भीतर प्रीत धारिहै।
मान होय प्रणय आवै,बिस्वास पिय प्यारी अतिहि गाढिहै।
रागहु प्रणय बादहौ आवै,अतिहि दुखै सुखी होय राहिहै।
रागै बदलै अनुरागै होहि,नित नव माधुरी प्रीत दीखाहिहै।
अनुराग गाढिहै महाभाव होय,भेद लाल लली मिटाहिहै।
रीति प्रीत दासी कहिहै,रसिक बाणी लिखै शीश झुकाहिहै।
आँचल जी का पद
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*प्रेम*--जब नायक और नायिका के मध्य प्रेम के विघटन का पर्याप्त कारण उपस्थित होने पर भी प्रेम बना रहता है और वह  विघटित नहीं होता तो उसे प्रेम कहते हैं ।

ब्रज प्रेम समर्था रति का ह।समर्था रति का प्रेम केवल  कृष्ण को सुख देने के लिए होता हैं ।

*स्नेह*--जब प्रेम परिपक्व हो जाता है और हृदय को द्रवीभूत करता है तो उसे स्नेह कहते हैं ।

*स्नेह दो प्रकार का होता है*

(1)घृतस्नेह और
(2)मधु स्नेह

*(1) घृत स्नेह*-- घी के समान होता ह।इसमें तादियता भाव "में कृष्ण की हु" रहता ह ।इसमें गर्व ,असूया भाव भी प्रकाशित होते ह।इसमें कृष्ण के प्रति आदर भाव भी रहता ह।

*(2)मधु स्नेह*--मधु स्नेह मधु के समान होता ह। मधु स्नेह में मदीयता "कृष्ण मेरे ह" का भाव रहता ह।इसमें किसी और सहायक भाव की आवश्यकता नही होती।

*मान* --स्नेह ही आगे चलकर मान में बदल जाता है ।मान के अंदर बा,हर से कुटिलता प्रदर्शित होती है जबकि अंदर मन में प्रेम माधुर्य होता है ।यह मान श्रीकृष्ण को सुख प्रदान करने और प्रेम को बढ़ाने के लिए होता है।

*प्रणय*-- मान ही आगे बढ़ कर प्रणय बन जाता है ।प्रणय भक्ति में अत्यंत प्रगाढ़ विश्वास होता है ।दोनों एक दूसरे पर विश्वास करते हैं।

*राग*-- प्रणय से आगे राग उत्पन्न होता है। राग वह अवस्था ह जब अत्यंत दुख में भी सुख  का अनुभव होता है ।उसे ही राग  कहते हैं ।

*अनुराग*-- राग ही आगे बढ़कर अनुराग बनता है। जब प्रियतम का माधुर्य नित नया-नया लगता है तो उसे ही अनुराग कहते हैं ।।

*महाभाव* --जब अनुराग अत्यंत गाड़ा हो जाता है तो उसे महाभाव कहते हैं। महाभाव में सारे भाव एक साथ क्लियर प्रदर्शित होते हैं ,जो की सुदीप्त  अवस्था होती है ,और यही सुदीप अवस्था महाभाव कहलाती है।

महाभाव् में दोनों का चित्त्त द्रविभूत हो जाता है और दोनों का  भेद अभेद हो जाता है ।कृष्ण राधा और राधा कृष्ण बन जाते ह।
*महाभाव की एक मात्र  आश्रय श्री राधिका महारानी है।*

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