*श्रीराधा की आराधना के दो प्रधान साधन है*- (1) श्रीराधा के परम प्रियतम श्रीकृष्ण की सुखसाधना और (2) किसी सिद्धा मञ्जरी के अनुगत होकर मञ्जरी-भाव से श्रीराधा-माधव की मधुर विशुद्ध सेवामय उपासना।
(1)
राधाराधन के परम हैं दो सुन्दर रूप।
दोऊ परम अमोघ सुभ, दोऊ श्रेष्ठ अनूप।।
प्रियतम प्रभु श्रीकृष्ण कौ सुख ही राधाभाव।
राधा-मन में बढ़त नित प्रियतम सुख कौ चाव।।
तिन की सेवा में निरत रहै जो जन मतिमान।
राधा तासौ सदा ही पावे मोद महान।।
(2)
राधा-सुख कौ दूसरौ यह साधन बलवान।
मंजरि बनि सेवा करै समुद जुगल रसखान।।
निज सुख कौ रंचक नहीं, कितहुँ कल्पना-लेस।
सुख हित लाड़लि-लाल के सहै समोद कलेस।।
सेवा सकल निकुंज की करै सदा अबिकार।
संयत इंद्रिय-मन सदा, बस सेवा अधिकार।।
लखि निकुंज-लीला सुखी स्यामा-स्याम ललाम।
लहै परम सुख, बढ़ै सुचि सेवा-रुचि अभिराम।।
काउ मंजरी कौ रहै अनुगत सदा सचेत।
मंजरि सम सेवा करै ताकौ पाई सँकेत।।
जो वास्तव में ही श्रीराधा-माधव की प्रेम-प्राप्ति के मार्ग पर चलना चाहते हों, उन्हें अपनी रुचि एवं अधिकार के अनुसार इन दोनों में से किसी एक साधना का आश्रय लेना चाहिये। इनमें श्रीकृष्ण की उपासना के लिये श्रीराधा की उपासना और श्रीराधा की उपसना के लिये श्रीकृष्ण की उपासना अपेक्षित है। वे एक-दूसरे की उपासना में ही अपनी उपासना मानकर परम प्रसन्न होते हैं।
अन्त में हम श्रीराधारानी से प्रार्थना करें—
दुराराध्यमाराध्य कृष्णं वशे त्वं
महाप्रेमपूरेण राधाभिधाभूः।
स्वयं नामकृत्या हरिप्रेम यच्छ
प्रपन्नाय में कृष्णरूपे समक्षम्।।
मुकुन्दस्त्वया प्रेमदोरेण बद्धः
पतंगो यथा त्वामनुभ्राम्यमाणः।
उपक्रीडयन् हार्दमेवानुगच्छन्
कृपा वर्तते कारयातो मयेष्टिम्।।
‘श्रीराधे! जिनकी आराधना कठिन है, उन श्रीकृष्ण की भी आराधना करके तुमने अपने महान् प्रेमसिन्धु की बाढ़ से उन्हें वश में कर लिया। श्रीकृष्ण की आराधना के ही कारण तुम राधा-नाम से विख्यात हुई। श्रीकृष्णस्वरूपे! अपना यह नामकरण स्वयं तुमने किया है, इससे अपने सम्मुख आये हुए मुझ शरणागत को श्रीहरि का प्रेम प्रदान करो।
‘तुम्हारी प्रेमडोर में बँधे हुए भगवान् श्रीकृष्ण पतंग की भाँति सदा तुम्हारे आस-पास ही चक्कर लगाते रहते हैं, तुम्हारे हृदय के भाव का अनुसरण करके तुम्हारे पास ही रहते तथा क्रीडा करते और कराते हैं। देवि! तुम्हारी कृपा सब पर है, अतः मेरे द्वारा अपनी आराधना-सेवा करवाओ।’
बोलो श्रीश्रीराधा-माधव की जय!!
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