राधे राधे,
"हे श्री राधारानी कब आपकी परम कृपा से मैं उस लीला का दर्शन करूँगी जब आप श्री कृष्ण की मुरली को चुरा लोगी और अपने आँचल में छिपा लोगी, तब सारे ब्रज में हल्ला हो जाएगा के कन्हैया की मुरली चोरी हो गयी.
ब्रज की गोपियाँ तो बहुत सुख मानेगी क्यूँकि यही मुरली ही उनकी सौतन बनी हुई थी, जब श्यामसुंदर अपना लटकाया हुआ मुखकमल लिए निकुंज में प्रवेश करेंगे और दुखित मन से अपनी मुरली की चोरी की घटना बताएँगे तब मैं "झूठा अभिनय कर श्यामसुंदर को सांत्वना दूँगी और चुपके से आपकी और देखकर धुर्तता से मुस्कुराऊँगी तब आप मुझे डाँट लगाकर कहोगी
"ओह अशिष्ट कींकरी, जा जाके यह मुरली मेरे श्यामसुंदर को दे दे , मैं उन्हें और दुखित नहीं देख सकती तब मैं दोनो हाथ खड़े कर "राधा माधव राधा माधव" कर विभोर हो जाऊँगी और मुरली श्यामसुंदर को दे आप दोनो की हँसी ठिठोलि का दर्शन करूँगी
ओह करुणमयी राधिके
"वृंदावन में रास के समय जब श्यामसुंदर सब गोपियों को छोड़ तुम्हें साथ ले जाएँगे निर्जन वन में और तुम्हारा एकांत में पुष्पों से शिंगार और तुम्हारी पुष्पों से वेश भूषा करेंगे तब मैं दूर से खड़ी इस युगलजोड़ी की प्रेम लीला का कब दर्शन करूँगी
ओह राधारानी
" वो दिन कब आएगा जब निकुंज में तुम्हारा कोई अति आवश्यक कार्य को करने के लिए सब मेरे नाम को ज़ोर ज़ोर से बुलाएँगी और जैसे ही मैं आपके निकट पहुँचूँगी तब आप मुझे देख कर मंद मंद मुसका के कहोगी "अब आयी है री" ऐसे मधुर शब्द और लीला दर्शन का आप मुझे कब सौभाग्य दोगी
ओह राधारानी
" जब निभृत निकुंज में आप शयन कर रही होगी तब मैं बाहर खड़ी होकर चंद्रमा से आपकी सुंदरता के बारे में वार्तालाप कर रही हूँगी तभी अंदर से मैं आपके चरणो के पायल के ध्वनि सुन कर डर जाऊँगी के कहीं मैंने आपकी निद्रा भंग तो नहीं कर दी और इसी डर से पूरी रात "विधाता" से आपकी निद्रा भंग ना हो इसी की प्रार्थना करते करते सुबह हो जाएगी
क्या कभी मुझे आपका ऐसी कृपा का सौभाग्य मिलेगा
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