Tuesday, 5 April 2016

दिन दुल्हिन दूलहु बलिहारी

दिन दुल्हिन दूलहु बलिहारी ।
अधिक फबीं श्री वन की स्वामिनी   देखीं न सरि की कोऊ वधू वारी ।१।
अतलस अंगिया चोली राती    पैने कुच कंचुकी उकारी ।
सारी सुरंग जरी बुँटे मणिं    जडीं अंचल सब कोर किनारी ।२।
भूषण वसन हू शोभा पाई       अद्भुत रूप अंग अंग धारी ।
मोतिन मौर माथे कछु टेढ़ी    घूँघट अँखिंयाँ चलें कजरारी ।३।
दूल्हा रूप अनूप बन्यौ     जामा अचकन मणि जटित किबारी ।
पेचदार पगिया पर सेहरो     मोहत मन श्यामा सुकुमारी।४।
श्री ललिता दोऊन कर जोड़त    सोहें तैसिय रूप उजियारी ।
प्रथम समागम कौ सुख विलसत   प्रेम प्रवीण श्री राधे बिहारी ।५।
सभार-सन्त कृपा से

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