Monday, 25 April 2016

श्री राधा जु के 25 मुख्य गुण

श्रीराधा के दिव्यगुण

श्रीचैतन्यचरितामृत में कहा गया है कि श्रीराधिकाजी में अनन्त दिव्य गुण हैं, पर पच्चीस प्रधान गुण ऐसे हैं, जिनके कारण भगवान श्रीकृष्ण नित्य उनके वश में रहते हैं।

अनन्त गुण श्रीराधिकार, पंचिस प्रधान।
सेइ गुणेर वश हय कृष्ण भगवान।।

ये गुण हैं–(1) मधुरिमा (2) नित्यकिशोरावस्था (3) नेत्रों की चंचलता (4) निर्मल हास्य (5) हाथ-पैर आदि अंगों पर सुन्दर सौभाग्यरेखाओं वाली (6) मनोहारी श्रीअंग-सौरभ (अपनी अंग-सुगंध से श्रीकृष्ण को मोहित करने वाली) (7) संगीतशास्त्र में निपुणता (8) मधुरवाणी (9) परिहास-वाक्यों के प्रयोग में निपुणता (10) विनयशीलता (11) करुणापूर्ण (12) विदग्धता (13) कर्त्तव्यकुशलता (14) लज्जाशीलता (15) श्रीकृष्ण के प्रति गौरव-बुद्धि (16) धैर्यशालिनी (17) गम्भीरता (18) लीलामयता (19) परमोत्कर्ष महाभाव (त्यागपूर्ण प्रेम के लिए सदैव व्यग्र रहने वाली) (20) गोवंश के प्रति प्रेम की निवासस्थली (21) सारे ब्रह्माण्डों में जिनका यश व्याप्त है, ऐसी (22) गुरुजनों के स्नेह की पात्र (23) सखियों के प्रति प्रेम-परवशता (24) श्रीकृष्ण की प्रेयसियों में मुख्य (25) श्रीकृष्ण को सदा-सर्वदा अपने अधीन रखने की मधुर शक्ति।

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