राधाकृष्णाष्टकम ||
कृष्णप्रेममयी राधा, राधाप्रेममयो हरि :
जीवनेन धने नित्यं राधाकृष्णगतिमर्म (१)
भवार्थ – श्री राधारानी भगवान श्रीकृष्णा में रमण करती है, और भगवान श्रीकृष्ण श्रीराधारानी में रमण करते
इसलिए मेंरे जीवन का प्रत्येक क्षण श्रीराधा-कृष्णा के आश्रय में व्यतीत हो.
कृष्णस्य द्रविणं राधा राधायाः द्रविणं हरि :
जीवनेन धने नित्यं राधाकृष्णगतिमर्म (२)
भवार्थ - भगवान श्रीकृष्णा की पूर्ण सम्पदा श्री राधा रानी है और श्रीराधारानी का पूर्ण धन भगवान श्रीकृष्ण है, इसलिए मेंरे जीवन का प्रत्येक क्षण श्रीराधा-कृष्णा के आश्रय में व्यतीत हो.
कृष्ण प्राणमयी राधा राधा प्राणमयो हरि :
जीवनेन धने नित्यं राधाकृष्णगतिमर्म (३)
भवार्थ - भगवान श्रीकृष्णा के प्राण श्रीराधारानी के ह्रदय में बसते है और श्रीराधारानी के प्राण भगवान श्रीकृष्ण के ह्रदय में बसते है, इसलिए मेंरे जीवन का प्रत्येक क्षण श्रीराधा-कृष्णा के आश्रय में व्यतीत हो.
कृष्ण द्रवामयी राधा राधाद द्रवामयो हरि :
जीवनेन धने नित्यं राधाकृष्णगतिमर्म (४)
भवार्थ - भगवान श्री कृष्णा के नाम के नाम से श्री राधा रानी प्रसन्न होती है और श्री राधा रानी के नाम से भगवान श्री कृष्णा आनंदित होते है,
इसलिए मेंरे जीवन का प्रत्येक क्षण श्रीराधा- कृष्णा के आश्रय में व्यतीत हो.
कृष्ण गेहे स्थिता राधा राधा गेहे स्थितो हरि :
जीवनेन धने नित्यं राधाकृष्णगतिमर्म (५)
भवार्थ - श्री राधारानी भगवान के शरीर में रहती है और भगवान श्रीकृष्ण श्रीराधारानी के शरीर में रहते है, इसलिए मेंरे जीवन
का प्रत्येक क्षण श्रीराधा- कृष्णा के आश्रय में व्यतीत हो.
कृष्ण चित्त स्थिता राधा राधा चित्स्थितो हरि :
जीवनेन धने नित्यं राधाकृष्णगतिमर्म (6)
भवार्थ - श्रीराधारानी के मन में भगवान श्रीकृष्ण विराजते है और भगवान श्रीकृष्ण के मन में श्रीराधारानी विराजती है,इसलिए मेंरे जीवन का प्रत्येक क्षण श्रीराधा-कृष्णा के आश्रय में व्यतीत हो.
नीलाम्बर धारा राधा पीताम्बर धरो हरि :
जीवनेन धने नित्यं राधाकृष्णगतिमर्म (7)
भवार्थ - श्रीराधारानी नीलवर्ण के वस्त्र धारण करती है और भगवान श्रीकृष्ण पीतवर्ण के वस्त्र धारण करते है, इसलिए मेंरेजीवन का प्रत्येक क्षण श्रीराधा-कृष्णा के आश्रय में व्यतीत हो.
वृन्दावनेश्वरी राधा कृष्णो वृन्दावनेश्वर :
जीवनेन धने नित्यं राधाकृष्णगतिमर्म (8 )
भवार्थ - श्रीराधारानी वृंदावन की स्वामिनी है और भगवान श्री कृष्ण वृंदावन के स्वामी है, इसलिए मेंरे जीवन का प्रत्येक क्षण
श्रीराधा-कृष्णा के आश्रय में व्यतीत हो.
“जय जय श्री राधे”
Sunday, 24 January 2016
राधाकृष्णाष्टकम
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment