रास् लीला बिना श्रीराधा रानी जी की कृपा के संभव ही नहीं है. जब श्रीप्रिया जी कृपा करती है,, तब ठाकुर जी रास की भूमिका बनाते है, अब तक रास में श्रीप्रिया जी और नित्यसिद्धा गोपियाँ आई नहीं, इसलिए भगवान श्रीकृष्ण साधन-सिद्धा गोपियों से ही बाते कर रहे है. और जब ठाकुर जी गोपियों से वापस चले जाने को कहते है तब गोपियों की बड़ी विचित्र दशा होती है-
कृत्वा मुखान्यव शुच:श्र्वस्नेन शुष्यद
बिम्बाधराणि चरणेन भुवं लिखन्त्य:
अस्त्रैरुपात्तमषिभि:कुचकुकुमानि
तस्थुर्मजन्त्य उरुदु:खभरा: स्म तूष्णींम्" (29)
अर्थात - गोपियों के बिम्बफल के समान लाल-लाल अधर, शोक के कारण चलने वाली लंबी और गर्म साँस से सूख गए, उन्होंने अपने मुहँ नीचे की ओर लटका लिए, वे पैर से धरती कुरेदने लगी, नेत्रो से दुःख के आँसू बह-बहकर, काजल के साथ उनका वक्ष:स्थल पर पहुँचने लगे, और वहाँ लगी केशर को धोने लगे.उनका ह्रदय दुःख से इतना भर गया कि वे कुछ बोल ना सकी चुपचाप खड़ी रह गई.
जब कभी प्रिया जी कृपा करती है तब ठाकुर जी स्वयं रास की भूमिका तैयार करते है.प्रिया जी के माधुर्य किरणों का विस्तरण हो भी जाए, तो सामान्य आँखों से झेला नहीं जायेगा. ठीक वैसे ही जैसे महाभारत के युद्ध में जब ऐश्वर्यवान भगवान श्री कृष्ण ने अपना विराट स्वरुप अर्जुन को दिखाया, अर्जुन को दिव्य द्रष्टि देने के बाद भी अर्जुन् से झेला नहीं गया, उनकी आँखे चौधयाने लगी.थरथर कांपने लगे.
तब भला दिव्य रास भी बिना शुद्धि के कैसे गोपियों को दिखायी देता.जब भगवान ने चीर हरण लीला की तो मानो उन्होंने गोपियों के तन की शुद्धि की, जब गोपिया शरद पूर्णिमा की रात में रास मंडल में आई तो ठाकुर जी ने उन्हें वापस लौट जाने को कहा,तब गोपियाँ उदास हो गई., गोपियों की आँख का काजल बहने लगा,मानो ठाकुर जी गोपियों की आँखों की शुद्धि कर रहे हो.गोपियाँ स्वयं शुद्धि नहीं कर सकती, इसलिए स्वयं ठाकुर जी ने सभी जगह शुद्धि की है.
और रास के मध्य में अंतरर्धान हुए तब गोपियों ने गोपी गीत गया, तो मानो ठाकुर जी ने महारास के पहले गोपी गीत के माध्यम से गोपियों के ह्रदय की शुद्धि की. क्योकि गोपी गीत के लिए कहा जाता है, जो इसका नित्य पाठ करता है उसके ह्रदय से काम निकल जाता है और उसे ठाकुर जी का साक्षात्कार होता है.गोपी गीत ह्रदय रोग को मिटाने वाला है.
आगे गोपियों ने ११ श्लोको में प्रणय गीत भी गाया है,परन्तु केवल साधन सिद्धा गोपियों ने गाया है, कब गाया? जब राधा रानी और नित्य-सिद्धा गोपियाँ रास में आई नहीं थी.क्योकि जब तक प्रणय नहीं होगा तब तक परिणय कैसे हो सकता है.
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