यह वृन्दावन का रस है,इसको"कुञ्ज रस"कहते हैं. और वृन्दावन के श्यामसुंदर को"कुञ्ज बिहारी"कहते हैं. इसके आगे एक और रस होता है उसे"निकुंज रस"कहते हैं. यहाँ जीव नहींजा सकता, ये ललिता, विशाखा आदि का स्थान है.उसके आगे "निभृत निकुंज" होता है, यहाँ ललिता, विशाखा आदि भी नहीं जा सकतीं, यहाँ केवल श्री राधा-कृष्ण ही रहते हैं. हम लोगों की जो अंतिम पहुँच है, वो "कुञ्ज रस" है. इसलिए हम चाकर "कुञ्ज बिहारी" के हैं.अष्टयाम लीला के अंतर्गत अष्टसखियां श्यामा श्याम कौ राजभोग(दोपहर के भोजन) के लिए आमंत्रित करतीं हैं कि-भोजन करत लाडि़ली लालरतन जटित कंचन चैकी पर,आनि धर्यौ सहचरि भरि थालछप्पन भोग दत्त छत्तसौं षटरस,लेहस चोष्य भखि भोज्य रसालजेंवत जाहि सराहि रस अति परसत रंग रंगली बालश्रीहरिप्रिया परस्पर दोउ,परम प्रवीन पालगोपालजू को पान खबावति भामिनी,भोजन कर गवने जुगल,ललित कुंज विश्रामचैपर खेल बढ्यौ मन मोदा,फूल्यौ पियअति सुनत विनोदाप्रे्रम की चैसर खेले पिया प्यारीदोउ पौढ़े हैं अलसाइ कैंवृन्दावन हित रूप जाउं बलि,रह्यौ रति रस सुख छाइ कैविहरत सुमन सेज पर दोऊइस तरह की और भी निकुंज लीलाएँ है राधा माधव कि इन लीलाओं को ऐसा कौन है जो अपनी जिव्हा से गा सकता है.इसमें त्रुटि तो अवश्य ही होगी, जिसके लिए हम क्षमा प्रार्थी है.
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रज के 12 कुंज
पुष्पा कुंज, फल कुंज, रस कुंज, मधु कुंज, गो कुंज, द्वार कुंज, नवकुंज, शशिकुंज, प्रेम कुंज, शिद्धव कुंज, लक्ष्मी कुंज, तुलसी कुंज।
ब्रज के सात समुद्र
ध्रुव सागर, गोपाल सागर, कनक सागर, गोप सागर, बैकुंठ सागर, लक्ष्मी सागर, क्षीरसागर।
ब्रज के 12 अधिवन
परमबृह्म मथुरा, राधाबल्लभ राधाकुंड, यशोदानंदन नंदगांव, नवल किशोर दानगढ़, ब्रज किशोर ललित ग्राम, राधाकृष्ण वृषभानपुर, गोकुलेंद्र गोकुल, कामधेनु बलदेव, गोवर्धन नाथजी गोवर्धन, ब्रजवट जाववट, युगल किशोर वृंदावन, राधारमण संकेतवन।
ब्रज के 40 बिहारीजी:
अजन बिहारी, अंकुर बिहारी, अप्सरा, उद्धव, कोकिला, कुंजबिहारी, किलोल, गोविंद, चिंताहरण, चंद्र, चतुर, तुष्णावर्त, दानबिहारी, दावानल, पूतना, नवलबिहारी, प्रेमबिहारी, पिता बिहारी, बांकेबिहारी, बहुल बिहारी, ब्रह्मांड बिहारी, प्रेम बिहारी, वृह्मांड बिहारी, बिछुल बिहारी, मथरोड़ बिहारी, मानबिहारी, मोर बिहारी, रासबिहारी, रसिक बिहारी, रमण बिहारी, ललित बिहारी, ब्रज बिहारी, बन बिहारी, बुद्ध बिहारी, वेदबिहारी, संकेत बिहारी, शाक बिहारी, श्री बिहारी, शृंगार बिहारी, सत्यनारायण बिहारी, शांतनु बिहारी।
ब्रज के पांच पर्वत
चरण पहाड़ी (कामवन), चरण पहाड़ी (कामर), नंदगांव (शिव), बरसाना (बृह्म,) गोवर्धन (विष्णु)।
ब्रज के सात कदमखंडी
गोविंद स्वामीजी, पिसावा, सुनहरा, करहला, गांठौली, उद्धवक्यारी, दौऊ मिलन की।
हिंडोला
श्री कुंड, करहला, संकेत, आजनोखर, रासौली, गहवरवन, वृंदावन, शेषशायी।
ब्रज के प्रमुख सरोवर
सूरज सरोवर, कुसुम सरोवर, विमल सरोवर, चंद्र सरोवर, रूप सरोवर, पान सरोवर, मान सरोवर, प्रेम सरोवर, नारायण सरोवर, नयन सरोवर।
ब्रज की सोलह देवी
कात्यायनी देवी, शीतला देवी, संकेत देवी, ददिहारी, सरस्वती देवी, वृंदादेवी, वनदेवी, विमला देवी, पोतरा देवी, नरी सैमरी देवी, सांचौली देवी, नौवारी देवी, चौवारी देवी, मथुरा देवी l
🌹🌸🌹🌸🌹🌸🌹🌸🌹🌸🌹🌸🌹🌸🌹🌸🌹 sheru munjal
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