Friday, 19 February 2016

रहस्य भाव 81

कुरंगमातंगपतंगमृमाना हता पंचभिरेवपि ।
एकः प्रमादी स कथं न हन्यते यः सेवते पंचभिरेवपञ्च ।।

>> पतंगा , हाथी , हिरन , भ्रमर ,मछली मात्र एक ही विषय की आसक्ति के कारण मर जाते है , तो पाँच विषयोँ का उपभोग करने वाला प्रमादी मनुष्य क्यो न मरे ?
पतंगा > (रुप ) अग्नि के रूप से मोहित होकर उसके पास जाता है और मर जाता है ।  मनुष्य भी रुप का सेवन करता है ।
भ्रमर > (गन्ध) कमल के गन्ध के प्रति आसक्त होकर मरता है। मनुष्य भी गन्ध (सुगन्ध )  के प्रति आसक्त होता है । 
हाथी > (स्पर्श) नकली हाथी का स्पर्श प्राप्त करने के कारण फँसता है । मानव भी स्पर्श सुख की लालसा रखता है ।
हिरन >(शब्द )  संगीत श्रवण की लालसा से हिरन का नाश होता है , मनुष्य भी संगीत श्रवण का अभिलाषी होता है ।
मछली > (रस)  जिह्वा स्वाद की लालसा मछली को मारती है , मनुष्य भी जिह्वा स्वाद के लिए लालायित रहता है ।

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