🙏🏼🌹हरिनाम महिमा🌹🙏🏼
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〽कलियुगे युग धर्म नामेर प्रचार।
ताहि लागी पीत वर्ण चैतन्य अवतार।।〽
(Cc adi lila 3.40)
कलियुग का युगधर्म हरिनाम है,उस श्री हरिनाम का प्रचार करने के लिए श्री कृष्ण पीत वर्ण धारण कर श्री चैतन्य रूप से अवतीर्ण हुए।
🌹श्री राधा कृष्ण युगल ही श्री कृष्ण चैतन्य रूप से पधारे।
🔹भगवान के असंख्य नामो में कलियुग में युगल ने अपनी शक्ति विशेष रूप से "हरे कृष्ण "इन नामो में डाली है।ये उनकी स्वतंत्र इच्छा,उन्होंने इन नामो को चिंतामणि स्वरूप प्रदान किया।
💠नाम चिंतामणि कृष्णस्य,चैतन्य रस विग्रह।
पूर्ण शुद्धो नित्य मुक्तो,अभिन्न त्वान्नाम नामिनोह।।💠
(Cc madhy lila 17.133)
🌿श्री कृष्ण नाम चिंतामणि स्वरूप है,चैतन्य है।
🔸ये शुष्क नही, रस विग्रह है।अर्थात इन नामो के निरंतर जाप से शुष्क हृदय भी सरस हो जाता है। रसमूर्ति युगल स्वरुप का प्रेम प्राप्त किया जा सकता है।
🔹कृष्ण नाम पूर्ण है।अर्थात हरे कृष्ण मन्त्र जाप अपने आप में पूर्ण साधन है।अर्थात ये ऐसा साधन है ,जिसको यदि भली प्रकार किया जाए तो दूसरे किसी भी साधन की आवश्यकता नही।ये सर्वोच्च साधन है।
🔺कृष्ण नाम शुद्ध है।नित्य मुक्त है।अर्थात जाप करनेवाला कितना ही मलिन हो,नाम उसे भीतर बाहर से शुद्ध करने की क्षमता रखता है।
🔸नाम स्वयं नित्य मुक्त है।जो स्वयं बांधा हुआ न हो वही किसीको छुड़ा सकता है।
🔹नाम और नामी में कोई भेद नही।श्री कृष्ण को जानने का,उनसे अपने नित्य सम्बन्ध को पहचानने का पहला सोपान है उनका नाम।संसार में भी किसी व्यक्ति तक पहुचने पहले नाम ध्यान में आता है,अच्छा अमुक व्यक्ति की बात हो रही।फिर रूप,स्वभाव ध्यान में आता है।
🔻जैसे तैसे जाप से धीरे धीरे चित्त शुद्ध तो होता जाता है,परंतु युगल प्रेम प्राप्त नही होता। नाम प्रभु की पूर्ण कृपा के लिए आवश्यक है कि बिना अपराध जाप हो(नाम अपराध और वैष्णव अपराध)।इन अपराधों के बिना जाप हो तो ही उसे शुद्ध जाप कहा जा सकता है।
🔸महाजनों ने स्व अनुभव से हरे कृष्ण महामन्त्र के कई गूढ़ अर्थ बताये है।साधक जैसे जैसे शुद्ध होता जाता है,नाम प्रभु अपने अर्थ स्वयं खोलने लगते हैं।
🔹नाम प्रभु को ये शक्ति प्रदान की है युगल ने की वो साधक को लीला स्फूर्ति करवा सकते हैं।अर्थात शुद्ध नाम जाप से चित्त की जब उन्नत स्थिति हो जाती है तो साधक युगल की लीलाओं के दर्शन कर सकता है।
-नामाचार्य श्री हरिदास ठाकुर की जय🙏🏼
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