🌿 *श्री गोपीनाथ जी चरणों में प्रार्थना*🌿
(श्रील भक्ति विनोद ठाकुरजी द्वारा रचित श्री कल्याण कल्पतरु से)
🙏🏼गोपीनाथ, मम निवेदन शुनो
विषयी दुर्जन,सदा काम रत
किछु नाही मोर गुण।।1।।
*अर्थ*-हे गोपीयों के नाथ,मेरा निवेदन सुनिये।मैं दुर्जन हूँ, सदा कामनाओं में रत रहता हूँ।मुझमे कोई गुण नही।
🌿गोपीनाथ,आमार भरसा तुमि
तोमर चरने लोइनु शरण
तोमर किंकर आमी।।2।।
*अर्थ*-हे गोपीनाथ आप ही मेरा एकमात्र भरोसा हो।मैंने आपके चरणों में शरण ली है।मैं आपका किंकर हूँ।
🔯गोपीनाथ,केमोने शोधिबे मोरे
ना जानि भक्ति,कर्मे जड़ मति
पोडेछि संसार घोरे।।3।।
*अर्थ*- हे गोपीनाथ आप कैसे मेरा शोधन करेंगे,मुझे कैसे सुधार पाएंगे?मुझे भक्ति का भी पता नही।कर्मो में मेरी बुद्धि जड़ है।इस घोर संसार में पड़ा हुआ हूँ।
🌟गोपीनाथ,सकली तोमार माया
नाही मम बल,ज्ञान सुनिर्मल
स्वाधीन नही ए काया।।4।।
*अर्थ*- हे गोपीनाथ सब आप ही की माया है।मुझमे न बल है,न ही निर्मल ज्ञान है।ये काया भी तो स्वाधीन नहीँ।
🍀गोपीनाथ,नियत चरने स्थान
मागे ए पामर,कांदिया कांदिया
कोरोहे करुणा दान।।5।।
*अर्थ*- हे गोपीनाथ,ये पापी रो रो कर आपके चरणों में स्थान मांगता है।हे प्रभु करुणा दान कीजिये
🛐गोपीनाथ,तुमि तो सकली पारो
दुर्जने तारिते,तोमार शक्ति
के आछे पापिर आरो।।6।।
*अर्थ*- हे गोपीनाथ आप सबकुछ कर सकते हो।दुर्जनों को तारने की शक्ति है आप में।मुझ जैसे पापी का आपके अलावा और कौन है।
💠गोपीनाथ तुमि कृपा पाराबार
जीवेर कारने आसिया प्रपंचे
लीला कोइले सुबिस्तार।।7।।
*अर्थ*- हे गोपीनाथ आप में अपार कृपा है।आप हम जीवो के उद्धार के लिए इस प्रापंचिक संसार में आए और अनेकों लीलाओं किये।
☣हे गोपीनाथ,आमि कि दोषे दोषी
असुर सकल,पाईलो चरण
विनोद थाकिलो बोसी।।8।।
*अर्थ*- हे गोपीनाथ मैंने ऐसा कौनसा दोष किया है?सभी असुरों तक को आपने अपने चरण शरण में ले लिया।मैं विनोद(श्रील भक्ति विनोद ठाकुर)बैठा रह गया।
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