Friday, 5 January 2018

श्रीराधा दासियों की महत्ता , सचिन जु

*श्रीराधा दासियों की महत्ता*

एक उदाहरण से समझते हैं

मुक्ताओ (मोती) के भीतर से जिस प्रकार स्वाभाविक रूप से निर्मल कान्ति बाहर प्रकाशित होती है, उसी प्रकार अंग प्रत्यंगों से अतिस्वछ स्वाभाविक प्रतिक्षण उदीयमान कान्तिराशि को लावण्य कहते हैं।

एक बार श्री राधिका के साथ विहार करते करते श्रीकृष्ण श्रीमती राधिका के अंग लावण्य का वर्णन करते हुऐ कहते है-

" हे राधे ऐसा प्रतीत होता है जैसे विधाता ने जगत की सारी विमल कान्ति को संग्रह कर तुम्हारे अंगों की रचना की है क्योंकि हे मृग नयने तुम्हारे अंग प्रत्यंग से निसृत किरणों द्वारा मणिमय दर्पण भी धिक्कृत हो रहा है"

अब अंतर देखिये मंजरी क्या कहतीं हैं

श्री सरस्वती पाद श्रीराधा रस सुधानिधि ग्रँथ में कहते हैं-"हे राधे आप लावण्य सागर हो"

कितनी अद्वितीय बात है।ध्यानसे समझते हैं

सागर सभी जलस्रोतों का मूल है।सागर का वाष्पीकृत जल ही मेघ बनता है और सभी जलाशयों में बरसता है।जहाँ बड़ा छोटा जल स्त्रोत,जो ताल तालैय्या है सबका मूल समुद्र है

उसी तरह श्रीराधा का लावण्य समस्त लावण्य का मूल है।समस्त जगत को लावण्य प्रदान करनेवाली श्रीजी है

श्रीकृष्ण कह रहे सारी लावण्य राशि एकत्रित कर विधाता ने मानो तुम्हारी रचना की।
मंजरी कह रही, नही।मेरी स्वामिनी ने ही लावण्य राशि बाँटी है।
ये अंतर है

कृष्णजी को भक्तों का,सृष्टि का ,न जाने किन किन बातों का स्मरण रहता है।श्रीराधा में पूर्णभावसे एकाग्रता उन्हें भी मंजरी से सीखनी पड़ती है।

कथा भी है कि श्रीकृष्ण ललिताजी से विनती करते हैं -"ललिते!कुछ करो सबकुछ भूल पाउँ, भगवान हूँ ये भूल जाऊं"
तब ललिताजी श्रीराधारानी के चरणों के नीचे से थोड़ीसी मिट्टी उठाकर उनके सिरपर डाल देती है-
"लो !अब भूल गए कि भगवान हो"
मंजरी के तो मन प्राण आत्मा श्रीराधारानी चरण रज है।श्री राधादास्य में मंजरियां श्याम सुंदर से श्रेष्ठ हैं
🙏🏼🙇🏻🌹

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एक बात और *अति महत्वपूर्ण*

🔅भौतिक जगत में जब किसी वस्तु की उपमा दी जाती है,किसी वस्तु से compare किया जाता है,तो वह वस्तु जिससे compare किया जा रहा श्रेष्ठ होती है

Eg-किसी स्त्री के मुख को कमल जैसा सुंदर कहा जाए,तो भी वास्तविकता यही रहेगी कि कमल ही अधिक सुकोमल सुंदर है।
उपमान> उपमेय

✳परन्तु आध्यात्मिक जगत बिल्कुल विपरीत है
यहां जिस वस्तु से उपमा दी जाती जैसे चंद्रमा अथवा कमल ,वो वस्तु सदा ही कमतर होगी,कभी भी जिसकी तुलना की जा रही ,उसकी बराबरी नही कर सकती
उपमान < उपमेय

उपमान=object of comparison(कमल)
उपमेय=standard of comparison(चेहरा)

🌷श्रीराधारानी के चेहरे की तुलना कमल अथवा चंद्रमा से करना,अथवा लावण्य की तुलना मोती से करना,केवल हम साधकों के ध्यान की सुगमता के लिए है

*अतुलनीय की कोई तुलना हो सकती है भला*🙏🏼🙇🏻

जय श्री राधे🙏🏼🙇🏻🌹

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