रंग सेज दुई पौढै।
प्यार बिछाय रहै प्यार पहिरै,अरू प्यार रहै औढै।
सिराहनौ कर पिय करी प्यारी,रहै अंग अंग जौडै।
प्यारी नील बसन पिय नीचै,पीत रहि प्यारी ओढै।
रस बिलास सुख देय परस्पर,प्यारी नीकौ नाय छौडै।
ऐ री रंग महल मे रंग सेज पै पिय प्यारी दोउ पोढे हुए है।
प्यार की इस सेज पर सखियो ने प्यार ही बिछावन की हुई है,दोनो ने प्यार के ही वस्त्र पहने हुए है और तो ओर दोने ने ओढ भी प्यार ही रखा है।
प्रियतम ने अपने कर को प्यारी जु के लिए सिराहना बनाया हुआ है और दोनो अपने प्रति अंग अंग को जोडे हुए है।
प्यारी जु का नीला वस्त्र प्रियतम के नीचे पडा है और प्रियतम का पीला वस्त्र प्यारी जु कुछ कुछ ओढ रखी है।
दोनो परस्पर एक दूसरे के अधिकाधिक सुख हेतू रति रस विलास मे तत्पर है।प्यारी दोनो ही परस्पर सुख देने मे कोई कसर नही छोडना चाहते.....
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