Wednesday, 9 March 2016

श्रीराधारानी चरन बंदों बारंबार

श्रीराधारानी चरन बंदों बारंबार
जिनके कृपा कटाच्छ तें रीझे नंदकुमार । जिन के पद-रज
परस तें स्याम होयँ बेभान बंदों तिन पद-रज-कननि मधुर
रसनि के खान ।
जिन के दरसन हेतु नित बिकल रहत घनस्याम ।
तिन चरनन में बसै मन मेरौ आठों जाम ।। जिन पद पंकज
ये मधुप मोहन दृग मँड़रात्त! तिन की नित झाँकी करन
मेरौ मन ललचात! रा अच्छर कौं सुनत हीं मोहन होत
विभोर ! बसै निरंतर नाम " राधा' नित मन मोर

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