Wednesday, 16 March 2016

नाम रहस्य

(नाम रहस्य)

★ मान लो की मनुष्य के पास दो अंगुठी है-- एक अंगुठी मे कांच लगा है ओर दुसरी अंगुठी मे हीरा लगा है तो हीरे वाली अंगुठी से मनुष्य को ज्यादा प्रेम होता है क्योकि उस हीरे के कारण अंगुठी का मुल्य ओर महत्व बढ गया --
उसी प्रकार भगवान के नाम को कभी मुल्यहीन मत समझो क्योकि भगवान खुद अपने नाम मे बैठे रहते है--

ईसलिए भगवान का नाम संकीर्तन करते समय ये बात पुर्ण विश्वास से हमेशा याद रखना की हम जो नाम लेने जा रहे है उस नाम मे भगवान सम्पुर्ण शक्तियो के साथ बैठे है--
नाम्नामकारि बहूधा निज सर्व शक्ति -- जिस तरह भगवान रस स्वरुप है उसी प्रकार भगवान का नाम भी रस स्वरुप है क्योकि खुद भगवान उस नाम मे बैठे है ---
कभी कभी मनुष्य कहता है की भगवान का नाम तो खूब लिया लेकिन रस नही मिला--

ईसका केवल एक ही कारण है की भगवान के नाम मे भगवान बैठे है ये बात मनुष्य को मालुम नही है-- अगर ये बात बुद्धि मे बैठा लोगे तो भगवान का नाम लेते समय रस मिलेगा -- ईसलिए जब भी नाम गाओ तो ये सोचकर गाना की नाम मे भगवान सम्पुर्ण शक्तियो के साथ बैठे है

जिस तरह अंगुठी मे हीरा लगा दिया जाये तो लोग हीरे की वजह से उस अंगुठी से प्रेम करने लगते है उसी प्रकार भगवान के नाम मे भगवान बैठे है ये बात जीवन मे उतार लो ओर तब नाम संकीर्तन करो -- रस मिलेगा--

राधे राधे

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