Thursday, 5 October 2017

रास के द्वादश अंश

द्वादश रास के अंग
वंशी ध्वनि, गोपीअभिसार,कृष्ण के साथ बातचीत, लघुरास,राधिका को लेकर श्रंगार, गोपीन के साथ ही पुन:प्राकटय, गोपीन के प्रश्नों त्तर,आसन पर बिराजनो,रासनृत्य,वन बिहार, जलबिहार क्रीड़ा।
ये ही बारह महीना की लीला बारह मास के उत्सव महोत्सव रुप मे होय है।श्रीनाथजी मे रास पंचाध्यायी के आधार पर पांच मुकुट पांच श्रृंगार होय  हैं।वे शरद के अनुरूप रासोत्सव के अंग भूत माने हैं तथा महारास की सेवा क्रम या प्रकार है-
१ आश्विन शुक्ल ८प्रथम वेणुनाद प्रश्न, उपदेश तथा प्रणयगीत यामें चितराम की पिछवाई मुकुट के श्रृंगार।आज भामतीजी की सेवा क्रम।
२ आश्विन शुक्ल ११ लघुरास मुकुट धरे।चितराम की पिछवाई वनमाला को श्रृंगार उपरना गुलाबी ललिता जी के भाव सों।शयन मे द्वितीयाध्याय।
३ आश्विन शुक्ल १४परिधान पर विराजनो प्रश्न के उत्तर देनो जरी की काछनी पिछवाई चितराम की मुकुट वनमाला को श्रृंगार उपरना शयन मे चूंदड़ी को जमुना जी केभाव सों तृतीया ध्याय।
४ आश्विन शुक्ल १५ शरद श्रृंगार श्वेत सुनहरी जरी काछनी मुकुट हीरा मोती के आभरण भीतर सजावट आदि चतुर्थाध्याय।स्वामीजी के भाव सों।
५ कार्तिक कृष्ण १ शरद को पुनः वैसो ही श्रृंगार।शयन मे तारा को सफेद उपरना।चंद्रावली जी के भाव सों।'
शरदोत्सव मे इतने पद गवें
मंगला-मानलग्यो गोपाल।अभ्यंग के ६ पद होय।श्रंगार सन्मुख-चलहु राधिके सुजान।ग्वाल मे टोडी के ।आसावरी माला बोले तब तक गवते रहे।
राजभोज सन्मुख-बन्यो रासमंडल मे।भोग मे-अलाप लाग उरप तिरप।रासविलास गहे कर पल्लव।तत् थेइ रासमंडल मे।आरती मे बीन मे मदनगोपाल।आरती सन्मुख ब्रजवनिता मध्य।शयनभोग आवे तब से लेकर तालामंगल होय तब तक रास के पद कीर्तनिया गली मे होय।फिर कमलचोक मे हाथीपोल मे सन्मुख ध्रुव बारी के जेमनी आडी ठाडी होयके।तानपूरा सों पूरी पूरी पूरनमासी पूरयौ शरद को चंद गवै।
गिडगिड थुंगथुंग लाल संग रास रंग।
श्याम सजनी शरद रजनी(शयन आरती होय तब)
विहाग मे
अद्भुत नट वेष धरे यमुना तट
खेलत रास रसिक नागर
राजत रंग भीनी भामिनी यामिनी
शरद सुहाइ यामिनी भामिनी
नचवन सिखवत प्यारी पिया को।
आज मान पोढवे के पद नहीं होय।
छ महिना की रात्रि भ ई-चंदा हू थकित भयो देख के लालच रयो देख के परम चेन।'-(श्री नाथ सेवा रसोदधि)

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