Saturday, 12 August 2017

श्री किशोरी जी के द्वादश अलंकार

🌿🌺श्री किशोरी जी के द्वादश अलंकार🌺🌿

नूपुर, बिछिया, किंकिनी, नीबी-बंधन सोय।
कर मुँदरी, कंकन, बलय, बाजूबंद, भुज दोय।।
बाजूबंद भुज दोय, कंठस्त्री दुलरी राजै।
नासा बेसरि, सुभग स्रवन ताटंक विराजै।।
भगवत बैना भाल, माँग मोती गो ऊपर।
द्वादस भूसन अंग नित्य प्यारी पग नूपुर।।

भावार्थ :-

निम्नलिखित द्वादश अलंकार प्रियतमा के श्रीअंगों में नित्य शोभा बढ़ाते रहते हैं -
१- (पैरों में) पायजेब, २- बिछुआ, ३-(कमर में) करधनी-जिसने नीबी को बाँध रखा है, ४- दोनों हाथों में अँगूठी, ५- कंगन, ६- चूड़ी, ७- दोनों भुजाओं में बाजूबंद, ८- (गले में) दुलरी कंठश्री, ९- नाक में सुन्दर बेसर, १०- कानों में जगर-मगर करते ताटंक(कुंडल), ११- भाल पर बैना और १२- उसके ऊपर माँग में मोतियों की माला।।

(...श्री भगवत रसिक जी की वाणीं)
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