Thursday, 21 September 2017

प्रथम विलास माहात्म्य

⏩प्रथम विलास माहात्म्य::-⏪

पुष्टिमार्ग में आज से ललिताजी के सेवा मास का आरंभ होता है जिसमें आज से नव-विलास के उत्सव का आरंभ होता है और इन नौ दिनों में प्रतिदिन नूतन भाव अंकुरित होते हैं.
इस भाव से ठाकुर जी को
के छापा के वस्त्र ठाकुरजी को धराये जाते हैं.
आज श्रीजी सहित सभी पुष्टिमार्गीय घरमें🏡 में दस मिटटी के कूंडों🍯 (पात्रों) में गेहूं के जवारे बोये जाते हैं.
माटी के इन कूंडों (पात्रों) में गेहूं और जव बोये जाते हैं. जिसे अंकुर-रोपण कहा जाता है.
सात्विक, राजस, तामस आदि नौ प्रकार के गुणों के भाव से और एक निर्गुण भाव से, ऐसे दस पात्रों में ज्वारा अंकुरित किये जाते हैं. ये अंकुरित ज्वारा दशहरा के दिन प्रभु के श्रीमस्तक पर कलंगी के रूप में धराये जाते हैं.   
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⏩विलास प्रथम :: पद ::💐🌺
प्रथम विलास कियो श्यामाजु
                 कीनो विपिन विहारजू ।।
उनके बिथकी शोभा बरनो
             कहत न आवे पारजू ।। 1।।
वाके युथकी गणना नाहीं
                     निर्गुण भक्त कहावे ।।
ताकी संख्या कहत न आवे
               शेषहू पार न पावे ।। 2 ।।
घोषघोष प्रति गलिन गलिन प्रति
                     रंग रंग अंबर छाये ।।
कियो शृंगार नखशिख अंग युवती
          ज्यो करनी गण राजे ।। 3 ।।
बहु पूजा ले चली वृंदावन
                     पान फूल पकवान ।।
ताके युथ मुख्य चंद्रावली
                चंद्रकलासी बाने ।। 4 ।।
पोहौंची जाय निकुंज भवनमें
                          दरसी वृदादेवी ।।
ताके पद वंदन करी माग्यो
            श्यामसुंदर वर एवी ।। 5 ।।
तिहिंछिन प्रभुजी आप पधारे
                  कोटिक मनमथ मोहे ।।
अंगअंग प्रति रुपरुप प्रति
          उपमा रवि शशि कोहे ।। 6 ।।
द्वैजुग जाम श्याम श्यामा संग
                केलि बिबिध रंग कीने ।।
उठत तरंग रंगरस उछलित
          दास रसिक रस पीने ।। 7 ।।
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