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राधे राधे..
*'ब्रजभाव माधुर्य'*
खंड : श्री अष्टमहासखी माधुरी
*'महासखी श्री रँगदेवी जी'*
जगद्गुरुत्तम् श्री कृपालु महाप्रभु जी ने अपनी *'प्रेम रस मदिरा'* ग्रन्थ की *'महासखी माधुरी'* के चौथे पद में *श्री रँगदेवी जी* के संबंध में वर्णन किया है :
रंगदेवी सखियन सरनाम ।
पुंडरीक-किंजल्क बरन तनु, लखि लाजत शत काम ।
पहिरे वसन जपा कुसुमन रँग, सोहति अति अभिराम ।
विविध भाँति भूषण पहिरावति, नित प्रति श्यामा-श्याम ।
परम चतुर श्रृंगार-कला महँ, नहिं पटतर कोउ बाम ।
रहति *'कृपालु'* निकुंजविहारिणि, संगहिँ आठों याम ।।
*(प्रेम रस मदिरा, महासखी माधुरी, पद 4)*
इसके सरलार्थ से निम्न बातें ज्ञात होती हैं :
(1) रंगदेवी सखी समस्त सखियों में प्रख्यात सखी हैं.
(2) इनके शरीर का रँग कमल के केशर के समान है एवं इनकी रुपमाधुरी से सैकड़ों कामदेव लज्जित होते हैं.
(3) यह इन्द्रवधूटी (लाल रंग का बरसाती कीड़ा) के रंग के अत्यंत ही सुन्दर कपडे पहनती हैं.
(4) नित्यप्रति श्री श्यामा-श्याम को अनेक प्रकार के गहने पहनाती हैं, एवं श्रृंगार करने की कला में इनकी समानता की चतुर गोपी और कोई नहीं है.
(5) यहाँ सदा ही किशोरी जी के साथ रहती हैं.
इसके अलावा इनके संबंध में अन्य कुछ जानकारियाँ इस प्रकार हैं _(Ref. 'महाभागा ब्रजदेवियाँ' ;श्रीराधाबाबा विरचित, श्रीश्रीराधाकृष्णगणोद्येशदीपिका)_
(1) इनकी माता का नाम करुणा तथा इनके पिता का नाम आराम है.
(2) इनके कुञ्ज का रंग श्याम रंग का है.
(3) निकुञ्ज में इनकी आयु सदा 14 वर्ष, 2 महीने और 8 दिन की रहती है.
(4) इनकी सेवा अलक्तक लगाने की है, गोष्ठलीला में श्री राधाकिशोरी के अलक्तक राग की सेवा नापित कन्यायें करती हैं पर निकुञ्ज में यह सेवा रँगदेवी जी के ही अधिकार में है.
(5) इनकी प्रधान सहायिकायें हैं : मंगलामंजरी, कुंदमंजरी एवं मदनमंजरी.
(6) इनकी 8 प्रमुख सखियाँ हैं : कलकंठी, शशिकला, कमला, मधुरा, इंदिरा, कंदर्पसुंदरी, कामलतिका एवं प्रेममंजरी.
(7) संकेत वाक्यों के नाना रूपों को छलपूर्वक प्रस्तुत करने वाली हैं. श्रीकृष्ण के समक्ष ही श्रीराधा के साथ हास-परिहास तथा नर्म कौतूहल करने में उत्सुकता प्रकाशित करती हैं.
(8) धूप खेने वाली सखियाँ, शिशिर में अग्नि रक्षण करने वाली तथा ग्रीष्म में विजन की सेवा करने वाली सखियाँ-दासियाँ इनके आदेश से काम करती हैं.
(9) बेल-बूटेदार अंगराग तथा गंधकयुक्त वस्तुओं को लगाने जैसे दायित्वपूर्ण सेवा को प्राप्त करने वाली कलकंठी आदि अष्टसखियों की ये अध्यक्ष हैं.
(10) पिता में धर्म-पालन की बड़ी निष्ठा है. इनमें भी स्त्रियोचित व्रत त्यौहार के प्रति बड़ी आस्था है.
(11) शेष बातों में महासखी श्री चम्पकलता के ही समान हैं.
*# ब्रजभाव माधुर्य*
# सुश्री गोपिकेश्वरी देवी जी
# श्री कृपालु भक्तिधारा प्रचार समिति