प्रेम=
*श्रीकृष्ण रति दृढ़ और अप्रतिहत*(किसी भी कारण से नही टूटता) *होने पर प्रेम कहलाती है*
यही प्रेम स्नेह मान प्रणय राग अनुराग भाव और महाभाव के रूप में प्रकाशित होता है
प्रश्न-प्रेम के लक्षण क्या है
उतर- मधुर रस में श्रीकृष्ण और गोपियों के बीच ध्वंश का कारण रहने पर भी उन्मे ध्वंश रहित भाव वंधन होता है यही प्रेम है
प्रश्न - प्रेम के कितने भेद है (type)
उतर-
*प्रेम के तीन भेद है-*(ये भेद नायक कृष्ण के प्रेम के भी है और ब्रजसुन्दरियों के प्रेम के भी यही तीन भेद है)
1) प्रौढा प्रेम
2) मध्यम प्रेम
3) मन्द प्रेम
प्रश्न - प्रौढा प्रेम क्या हो
जिस प्रेम मिलन में विलम्भ होने पर श्यामसुन्दर के ह्रदय में जो कष्ट उसे दूर करने के लिए गोपियों के ह्रदय में जो झटपटा हट होती है उसे प्रौढा प्रेम कहते है
प्रश्न मध्य प्रेम क्या होता है
2) *मध्य प्रेम*-जिसमे श्यामसुन्दर के कलेशाअनुभव को सहन कर लेती है गोया या वियोग दुख कष्ट सहा जा सकता है वह मध्य प्रेम।
प्रश्न मन्द प्रेम क्या होता है
उतर
3) *मन्द प्रेम*-जिस प्रेम कांता कृष्ण ओको किसी विशेष परिस्थिति में विस्मरण हो जाए वह मन्द प्रेम
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