दृष्टि के भेद
समममलोकितम् साची प्रलोकितनिमीलिते ।
उल्लोकितानुवृत्ते च तथा चैवावलोकितम् ।।
आचार्य नंदीकेश्वर के अनुसार दृष्टि अभिनय के 8 प्रकार बताए गए हैं।
सम
आलोकित
साची
प्रलोकित
निमीलिते
उल्लोकित
अनुवृत्ते
अवलोकित
सम:-आंखों की दृष्टि सीधे हो अर्थात सीधे देखना सम दृष्टि कहलाती है
(विनियोग)नृत्य में सम दृष्टी का उपयोग:- नाटक के आरंभ में, तुलनात्मक की स्थिति में, किसी के चिंतित विचारों का अनुमान लगाने में, आश्चर्य को व्यक्त करने में और देव प्रतिमा के सम्मुख सम दृष्टि का उपयोग किया जाता है।
आलोकित:-आंखें खोलकर पुतलियों को चारों तरफ घुमाना आलोकित दृष्टि कहलाती है।
(विनियोग)नृत्य में आलोकित दृष्टी का उपयोग:-सभी प्रकार के वस्तुओं को देखने का प्रयत्न करना याचना की स्थिति को प्रकट करने के लिए आलोकित दृष्टि का प्रयोग किया जाता है।
साची:-तिरछी नजर से देखना अर्थात सीधा बैठ कर अपनी पुतलियों को बाएं या दाएं के तरफ देखने को साची दृष्टि कहते है।
(विनियोग)नृत्य में साची दृष्टी का उपयोग:-संकेत करने में, बाण का लक्ष्य साधने में, स्मरण करने में, सूचना देने में और कार्य आरंभ करते समय व्यक्त करने में साची दृष्टि का उपयोग किया जाता है।
प्रलोकित:-एक ओर से दूसरी ओर पुतलियों को किया जाता है अर्थात पुतलियों को दाएं से बाएं की ओर किया जाए तब आंखों की उस स्थिति को प्रलोकित दृष्टि कहा जाता है।
(विनियोग)नृत्य में प्रलोकित दृष्टी का उपयोग:-अपने बगल में दोनों भागों में अवस्थित वस्तुओं को निर्देश देने में, चलने या हिलने डोलने में और बुद्धि की स्थिरता का भाव व्यक्त करने के लिए प्रलोकित दृष्टि का उपयोग किया जाता है।
निमीलित:-आँखें आधा खोल कर नीचे की तरफ देखने को निमीलित दृष्टि कहा जाता है।
(विनियोग)नृत्य में निमीलित दृष्टी का उपयोग:-मंत्र पढ़ने में, ध्यान करने में, नमस्कार करने में, उन्माद की अवस्था में, निमीलित दृष्टि का उपयोग किया जाता है।
उल्लोकित:-ऊपर की तरफ देखने को अर्थात पुतलियां ऊपर की तरफ हो उसे उल्लोकित दृष्टि कहते हैं।
(विनियोग)नृत्य में उल्लोकित दृष्टी का उपयोग:-ध्वज को फहराने समय, मीनार की गुंबज को देखते समय, नक्षत्र मंडल का अवलोकन करते समय, पूर्व जन्म का स्मरण करते समय, ऊंचाई की ओर देखते समय उल्लोकित दृष्टि का उपयोग किया जाता है।
अनुवृते :- ऊपर से नीचे तीव्रता से आँखे करना ।
अवलोकित:-नीचे पृथ्वी की ओर दृष्टि को टिकाने पर यह अवलोकित दृष्टि कहलाती है।
(विनियोग)नृत्य में अवलोकित दृष्टी का उपयोग:-छाया का प्रतिबिंब को देखने में, चिंतन करने में, किसी की चर्चा करने में, अध्ययन करने में, परिश्रम करने में, अपने अंग को देखने में अवलोकित दृष्टि का उपयोग किया जाता है।
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