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*खिचड़ी महोत्सव*
😇 *माघ का महीना बड़ा ही पवित्र होता है माघ के महीने में स्नान दान का बड़ा ही महत्व है साथ ही साथ खिचडी के दान और* *खिचड़ी का भोग लगाने का भी बड़ा महत्व है.*
*वृंदावन में लाडले ठाकुर श्री राधावल्लभलाल को प्रात:काल गर्म-गर्म खिचडी का भोग लगाया जाता है।
😍यह विशेष खिचडी *मूंग की दाल, चावल, शुद्ध घी, केसर, लौंग, जायफल, जावित्री, काली मिर्च, अदरक, इलायची, दाख, छुहारा, बादाम, पिस्ता, किशमिश, गरी,* आदि मेवा-मसालों से तैयार की जाती है,
साथ में *सब्जी, अचार-मुरब्बा, दही, खीरसाकी चिपिया,रबडी की कुलिया,मिष्टान्न, पापड, कचरिया,मक्खन, मिश्री, फल, मेवा, रेवडी, गजक, केसर और मिश्री युक्त दूध* आदि पदार्थ भी हैं।
🍄प्रात:काल मंगला आरती से पहले ठाकुर जी को ऊनी, मखमली कपडे से तैयार फरगुल और रजाई धारण कराई जाती है। चांदी की अंगीठी में चंदन की लकडी जला कर उन्हें तपाया भी जाता है। श्रद्धालुओं की भावना है कि उनके ठाकुर जी कडकडाती ठंड में शीत से ग्रस्त न हों।🍄
🌕मंदिर में यह क्रम लगभग एक महीने तक रोज चलता है , जिसे खिचडी महोत्सव कहते हैं।
🌒"खिचड़ी राधा वल्लभ जू को प्यारी,
किसमिस, दाख,चिरौजी ,पिस्ता ,अदरक ,सोरुचिकारी।
दही, कचरिया ,वर, सेधाने,वरा, पापरा, बहु तरकारी जायफल, जावित्री, मिर्चा ,घृत, सोसीच संवारी"🌒
❄प्रति वर्ष पौषशुक्ल द्वितीया से माघ शुक्ल द्वितीया तक बडे ही लाड-दुलार से उनकी सेवा की जाती है. भोग लगाते समय संत-पद का गायन होता है. सुबह लगभग 6 से 8 बजे तक चलने वाले इस खिचडी महोत्सव के दौरान समूचा ठाकुर वल्लभ मंदिर परिसर ठाकुर राधा वल्लभ लाल की जय-जयकार से गूंज उठता है. इस खिचडी प्रसाद का स्वाद बडा ही निराला होता है. ठंड में भी अल्ल सुबह प्रसाद पाने के लिए मंदिर के बाहर भक्तों की लंबी-लंबी कतारें लग जाती हैं।❄
🎨ऐसी मान्यता है कि इस प्रसाद का एक कण तक पाने से लोगों का जीवन धन्य हो जाता है और उनको सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है.
ठाकुर राधावल्लभ मंदिर में प्रतिवर्ष खिचडी महोत्सव आयोजित करने का शुभारंभ 18वींशताब्दी में गोस्वामी ब्रजलाल महाराज ने किया था। उनके ग्रंथ सेवा विचार में इस उत्सव का विस्तृत वर्णन है। 🎨
💈वृंदावन में भोग के साथ राग का अधिक महत्व है।इसलिए उनके सामने जब खिचडी का भोग रखा जाता है, तब मंदिर में सामूहिक गायन भी चलता रहता है। खिचडी का भोग लगाने के बाद उन्हें आचमन करवा कर पान का बीडा खिलाया जाता है और मंगला आरती होती है। इसके बाद ठाकुर जी की झांकी दिखाई जाती है।💈
🎊उत्सव के समापन पर माघ शुक्ल द्वितीया को कई प्रकार के मोहन भोग और सूजी के हलवे का विशेष भोग लगाया जाता है,साथ ही मंदिर में खिचडी की विशेष पंगत भी होती है।असंख्य राधावल्लभीय वैष्णव जन भी अपने-अपने घरों में अपने ठाकुर को पूरे एक माह तक खिचडी का भोग लगाते हैं।🎊
*"जय जय श्री राधा"*
" *जय जय श्री हित हरिवंश*"
🔮📿 *श्री राधा केलि कुञ्ज*📿🔮