Saturday, 26 January 2019

श्री दामोदराष्टकम्

*श्री दामोदराष्टकम्'*
     
_नमामीश्वरं सच्-चिद्-आनन्द-रूपं_
_लसत्-कुण्डलं गोकुले भ्राजमनम्_
_यशोदा-भियोलूखलाद्धावमानं_
_परामृष्टम् अत्यन्ततो द्रुत्य गोप्या ॥ १॥_
वे भगवान्
*___ _जिनका रूप सत, चित और आनंद से परिपूर्ण है, जिनके मकरो के आकार के कुंडल इधर उधर हिल रहे है, जो गोकुल नामक अपने धाम में नित्य शोभायमान है, जो (दूध और दही से भरी मटकी फोड़ देने के बाद) मैय्या यशोदा की डर से ओखल से कूदकर अत्यंत तेजीसे दौड़ रहे है और जिन्हें यशोदा मैय्या ने उनसे भी तेज दौड़कर पीछे से पकड़ लिया है ऐसे श्री भगवान को मै नमन करता हूँ  ।।1।।_*
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_रुदन्तं मुहुर् नेत्र-युग्मं मृजन्तम्_
_कराम्भोज-युग्मेन सातङ्क-नेत्रम्।_
_मुहुः श्वास-कम्प-त्रिरेखाङ्क-कण्ठ_
_स्थित-ग्रैवं दामोदरं भक्ति-बद्धम् ॥ २॥_
(अपने माता के हाथ में छड़ी देखकर)
*___ _वो रो रहे है और अपने कमल जैसे कोमल हाथो से दोनों नेत्रों को मसल रहे है, उनकी आँखे भय से भरी हुई हैं और उनके गले का मोतियो का हार, जो शंख के भाति त्रिरेखा से युक्त है, रोते हुए जल्दी जल्दी श्वास लेने के कारण इधर उधर हिल-डुल रहा है , ऐसे उन श्रीभगवान् को जो रस्सी से नहीं बल्कि अपने माता के प्रेम से बंधे हुए हैं, मैं  नमन करता हूँ ।।_*
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_इतीदृक् स्व-लीलाभिरानन्द-कुण्डे_
_स्व-घोषं निमज्जन्तम आख्यापयन्तम्।_
_तदीयेषित-ज्ञेषु भक्तैर् जितत्वं_
_पुनः प्रेमतस्तं शतावृत्ति वन्दे ॥ ३॥_
*_ऐसी बाल्यकाल की लीलाओ के कारण वे गोकुल के रहिवासीओ को आध्यात्मिक प्रेम के आनंदकुंड में डुबो रहे हैं, और जो अपने ऐश्वर्य सम्पूर्ण और ज्ञानी भक्तों को ये बतला रहे हैं कि “मैं अपने ऐश्वर्य हिन और प्रेमी भक्तों द्वारा जीत लिया गया हूँ”, ऐसे उन दामोदर भगवान को मैं शत्-शत् नमन करता हूँ ।।_*
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_वरं देव मोक्षं न मोक्षावधिं वा_
_न चन्यं वृणे ‘हं वरेषाद् अपीह।_
_इदं ते वपुर् नाथ गोपाल-बालं_
_सदा मे मनस्य् आविरास्तां किम् अन्यैः ॥ ४॥_
हे भगवन्,,,
*_आप सभी प्रकार के वर देने में सक्षम होने पर भी मैं आप से ना ही मोक्ष की कामना करता हूँ, ना ही मोक्षका सर्वोत्तम स्वरुप श्रीवैकुंठ की इच्छा रखता हूँ, और ना ही नौ प्रकार की भक्ति से प्राप्त किये जाने वाले कोई भी वरदान की कामना करता हूँ । मैं तो आपसे बस यही प्रार्थना करता हूँ कि आपका ये बालस्वरूप मेरे हृदय में सर्वदा स्थित रहे, इससे अन्य और कोई वस्तु का मुझे क्या लाभ ?_*
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_इदं ते मुखाम्भोजम् अत्यन्त-नीलै_
_वृतं कुन्तलैः स्निग्ध-रक्तैश् च गोप्या।_
_मुहुश्चुम्बितं बिम्ब-रक्ताधरं मे_
_मनस्य् आविरास्ताम् अलं लक्ष-लाभैः ॥ ५॥_
हे प्रभु,
*_आपका श्याम रंग का मुखकमल जो कुछ घुंघराले लाल बालों से आच्छादित है, मैय्या यशोदा द्वारा बार बार चुम्बन किया जा रहा है, और आपके ओठ बिम्बफल जैसे लाल हैं, आपका ये अत्यंत सुन्दर कमलरुपी मुख मेरे हृदय में विराजीत रहे । (इससे अन्य) सहस्त्रो वरदानों का मुझे कोई उपयोग नहीं है ।_*
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_नमो देव दामोदरानन्त विष्णो_
_प्रसीद प्रभो दुःख-जालाब्धि-मग्नम्।_
_कृपा-दृष्टि-वृष्ट्याति-दीनं बतानु_
_गृहाणेष माम् अज्ञम् एध्य् अक्षि-दृश्यः ॥ ६॥_
हे प्रभु,
*_मेरा आपको नमन है । हे दामोदर, हे अनंत, हे विष्णु, आप मुझपर प्रसन्न होवें (क्यूंकि) मैं संसाररूपी दुःख के समुन्दर में डूबा जा रहा हूँ । मुझ दीनहीन पर आप अपनी अमृतमय कृपा की वृष्टि कीजिये और कृपया मुझे दर्शन दीजिये ।।_*
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_कुबेरात्मजौ बद्ध-मूर्त्यैव यद्वत्_
_त्वया मोचितौ भक्ति-भाजौ कृतौ च।_
_तथा प्रेम-भक्तिं स्वकां मे प्रयच्छ_
_न मोक्षे ग्रहो मे ‘स्ति दामोदरेह ॥ ७॥_
हे दामोदर
(जिनके पेट से रस्सी बंधी हुयी है वो),
*_आपने माता यशोदा द्वारा ऊखल में बंधे होने के बाद भी  कुबेर के पुत्रों (मणिग्रिव तथा नलकुबेर) जो नारदजी के श्राप के कारण वृक्ष के रूप में मूर्ति की तरह स्थित थे, उनका उद्धार किया और उनको भक्ति का वरदान दिया, आप उसी प्रकार से मुझे भी प्रेमभक्ति प्रदान कीजिये, यही मेरा एकमात्र आग्रह है, किसी और प्रकार की कोई भी मोक्ष के लिए मेरी कोई कामना नहीं है ।_*
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_नमस्ते ‘स्तु दाम्ने स्फुरद्-दीप्ति-धाम्ने_
_त्वदीयोदरायाथ विश्वस्य धाम्ने।_
_नमो राधिकायै त्वदीय-प्रियायै_
_नमो ‘अनन्त-लीलाय देवाय तुभ्यम् ॥ ८॥_
हे दामोदर,
*_आपके उदर से बंधी हुयी महान रज्जू (रस्सी) को प्रणाम् है, और आपके उदर, जो निखिल ब्रह्मतेज का आश्रय है, और जो सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड का धाम है, को भी प्रणाम है । श्रीमती राधिका जो आपको अत्यंत प्रिय है उन्हें भी प्रणाम है, और हे अनन्त लीलाएँ करने वाले भगवन्, आपको अनन्त प्रणाम है।_*
🙏🙏🙏
*हरे कृष्ण हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण हरे हरे ।*
  *हरे  राम  हरे  राम, राम  राम  हरे  हरे।।*

*_हरे कृष्ण🙏 हरी हरी बोल🙌INHC_*