Friday, 7 September 2018

अमितानुरागिणी वेणु वेणु जय जय वेणु जय श्रीवेणु , बाँवरी जू

*अमितानुरागिणी वेणु वेणु जय जय वेणु जय श्रीवेणु*

     श्रीवेणु जो अपने रव रव से श्रीहित सुधा, प्रेम सुधा पिला रही है, इस वेणु के भीतर ऐसा दिव्य रस भर रहा है श्रीस्वामिनी जु का नाम। श्रीराधा नाम सुधा प्रियतम इसे भर भर पिला रहे हैं, इस वेणु नाद से निनादित होकर श्रीनिकुंज का कण कण वेणु मय हो रहा है, रस मय हो रहा है, हित मय हो रहा है, अनुराग मय हो रहा है।ऐसे अमित अनुराग को पिलाने वाली है यह श्रीवेणु। सभी राग रागिनी का मूल इसी श्रीवेणु नाद में समाहित है । जिस प्रकार श्रीस्वामिनी श्रीराधा जु का नाम प्रियतम के रोम रोम को आह्लादित किये हुए है , वही आह्लाद रव रव में प्रकट हो रहा है, बिखर रहा है, प्रसारित हो रहा है, स्वयम भी हितमयी होकर सबको हितमयी स्वरूपः दे रहा है।

   श्रीराधा जी के चरणों का अमित अनुराग प्रदान कर रही है वेणु, श्रीप्रियतम को , सखियन अलियन को, श्रीनिकुंज के कण कण को। ऐसा अनुराग जो नित्य नव नव होता जाता है, नित्य वर्धित होता जाता है। श्रीवेणु श्रीस्वामिनी जु की सेवा प्रदान करने का सामर्थ्य रखती है। हित रस जैसे जैसे इस वेणु नाद से गहन अति गहन होता जाता है, वर्धित होता जाता है, पुष्ट होता जाता है, वैसे ही प्रेम का वर्धन होता हुआ सेवा की भावना को पुष्ट करता है। जो स्वयं सेवा में हो वही सेवा प्रदान करने की सामर्थ्य रखता है। यह श्रीवेणु ही हित सजनी रूप में श्रीप्रिया जी की सेवा लालसा को उदित करती है, तथा प्रदान करने का सामर्थ्य भी रखती है।

   श्रीप्रियतम के भीतर कुछ है तो केवल श्रीप्रिया, जो उनके रोम रोम में समा रही है। श्रीवेणु नाद द्वारा मनहर उसे रव रव में स्वयम भी पी रहे हैं सभी को उसका पान करवा रहे हैं। स्वयम भी आह्लादित हो रहे हैं तथा कण कण को आह्लादित कर रहे हैं। भीतर से श्रीराधा नाम ही नाद रूप में प्रकट हो सभी को पिलाया जा रहा है। श्रीस्वामिनी जु का प्रेम , श्रीस्वामिनी जु का सहचर्य प्रदान किया जा रहा है।श्रीयुगल की नित्य संगिनी , प्रेम रूपिणी, प्रेम प्रदायिनी यह हित रूपणी श्रीवेणु श्रीनिकुंज के कण कण में रसमयता का प्रसार कर रही है। श्रीप्रियतम अपनी साधना में श्रीवेणु द्वारा ही श्रीस्वामिनी जु को भज रहे हैं, तथा श्रीवेणु हितमयी रूप होकर श्रीप्रियतम के इस भजन को , इस प्रेम को वर्धित करती हुई उन्हें भी अमित अनुराग प्रदान कर रही हैं। इस वेणु नाद के भीतर प्रकट श्रीप्रिया नाम ही इस वेणु का , हित का मूल मंत्र है, जो झँकृत हो होकर इस रस को पी और पिला रही है। *अमितानुरागिनी वेणु वेणु जय जय वेणु जय श्रीवेणु*

Saturday, 1 September 2018

श्री निम्बार्क परंपरा के सभी आचार्य वृन्दो का परिचय व सखी स्वरूप

🌹🌹जय श्री निम्बार्क🌹🌹

श्री निम्बार्क परंपरा के सभी आचार्य वृन्दो का परिचय व सखी स्वरूप🙏🏻🙏🏻
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1) श्री हंस भगवान
2)सनकादिक भगवान
3)नारद जी
4)निम्बार्क भगवान(श्री सुदर्शन चक्रावतार)

5)शंखावतार श्री निवासाचार्य जी
नभ्यवासा सखी के रूप में
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6)विश्वाचार्य जी महाराज ,,जो विश्वाभा सखी के रूप में निकुन्ज सेवा में तत्पर रहते है।
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7) पुरुषोत्तमाचार्य जी महाराज-जो उत्तमा सखी स्वरूप में प्रिया प्रियतम की सेवा में
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8) आचार्य पीठ को सुशोभित किया
विलासाचार्य जी ने,,जो विलासा सखी के स्वरूप थे
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9) स्वरूपाचार्य जी महाराज-सरसा सखी का स्वरूप
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10) माधवाचार्य जी - मधुरा सखी का स्वरूप
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11) बलभद्राचार्य जी- भद्रा सखी का स्वरूप
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12) पद्माचार्य जी महाराज - पदमा सखी का स्वरूप
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13) श्यामाचार्य जी महाराज,,
जो श्यामा सखी बने
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14) गोपालाचार्य जी महाराज- शारदा सखी का स्वरूप
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15) कृपाचार्य जी महाराज- कृपाला सखी
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16) देवाचार्य जी महाराज - देव देवी सखी
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17) सुन्दरभट्टाचार्य जी महाराज -
सुंदरी सखी स्वरूप
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18) पदमनाभ भट्टाचार्य जी-
पद्माल्या सखी के रूप में राधा रानी की सेवा में रहे
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19) उपेंद्र भट्टाचार्य जी- इंदिरा सखी का स्वरूप
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20)श्रीरामचन्द्र भट्टाचार्य जी महाराज--
रामा नाम की सखी के स्वरूप
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21) वामन भट्टाचार्य जी महाराज-
वामा सखी
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22) श्रीकृष्ण भट्टाचार्य जी महाराज
कृष्णा सखी
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23) पदमाकर भट्टाचार्य जी महाराज
पद्मा सखी के रूप में प्रिया प्रियतम की सेवा में
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24)श्री शरण भट्टाचार्य जी महाराज,,
श्रुतिरुपा सखी
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25)भूरिभट्टाचार्य जी महाराज-भगवती सखी स्वरूप
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26)माधव भट्टाचार्य जी महाराज
माधवी सखी
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27) श्यामा भट्टाचार्य जी महाराज
अशिता सखी स्वरूप
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28) गोपाल भट्टाचार्य जी महाराज-
गुणाकरि सखी
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29) बलभद्र भट्टाचार्य जी महाराज---वल्लभा सखी
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30) गोपीनाथ भट्टाचार्य जी-
गौरांगी सखी
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31) केशव भट्टाचार्य जी महाराज- केशी सखी के रूप में राधा रानी की सेवा में तत्पर रहते थे
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32)गांगलभट्टाचार्य जी महाराज
पवित्रा सखी
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33) केशवकाश्मीरी भट्टाचार्य जी महाराज--कुमकुमा सखी स्वरूप में प्रिया प्रियतम की सेवा में रहते
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34) भट्टाचार्य जी महाराज- हित सखी

35) हरिव्यास देवाचार्य जी महाराज-- हरिप्रिया सखी

36) परशुराम देवाचार्य जी महाराज-- परमा सखी

37) हरिवंश देवाचार्य जी महाराज,
हित अलबेली सखी🌹 स्वरूप में आचार्य पीठ पर विराजमान होते है।।
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38) नारायण देवाचार्य जी महाराज--नित्य नवीना सखी
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39) वृन्दावन देवाचार्य जी महाराज
मनमंजरी सखी🌺🙏🏻
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40) गोविन्द देवाचार्य जी महाराज--- गौरांगी सखी

41) गोविंद शरण देवाचार्य जी महाराज-- गुण मंजरी सखी
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42) सर्वेश्वर शरण देवाचार्य जी महाराज--रूप मंजरी सखी
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43) निम्बार्क शरण देवाचार्य जी
रस मंजरी सखी के स्वरूप
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44) ब्रिजराज शरण देवाचार्य जी
प्रेमलता सखी
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45) गोपेश्वर शरण देवाचार्य जी महाराज-- विलासा सखी

46) घनश्याम शरण देवाचार्य जी महाराज--शुकमंजरी सखी

47) बालकृष्ण शरण देवाचार्य जी
रतिमंजरी सखी

48)🙏🏻 श्री राधासर्वेश्वर शरण देवाचार्य जी महाराज🙏🏻
पूज्य श्री गुरुदेव जी,,युगल प्रिया सखी के स्वरूप में प्रिया प्रियतम की इत्र से सेवा करते है।।
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49) वर्तमान जगतगुरु श्री निम्बार्काचार्य
श्री श्याम शरण देवाचार्य जी महाराज
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📝वृन्दावन बिहारी शरण📝